Saturday, March 20, 2010

मन : अंतर्नाद - हर्षदा

मन नाजूक नाजूक, मन शीतल शीतल..
मन नारळ पोफळी, कधी कठीण कोमल..
मन बेधुंद बेधुंद, मन उधाण
उधाण... मन स्वछंद पाखरू, उडे
विसरुनी भान.. मन बेफाम बेफाम,
मन भन्नाट भन्नाट.. मन
वार्‍याच ते वेळू, धावे सुसाट
सुसाट.. मन उथळ उथळ, मन गहिरं
गहिरं.. मन सागर समुद्र, शांत
कधी रौद्र.. मन गडद गडद, मन
काळोख कुपीत.. मन एक सांजवेळ,
लपवी सारी गुपीत.. मन ओलेत ओलेत,
मन जस धुमशान.. मन पावसाचा थेंब,
जाई क्षणात विरुन.. मन उनाड
उनाड, मन लोभस लोभस.. मन अवखळ
फार, जस बाळ निरागस.. मन तरल तरल,
मन नरम नरम.. मन थंडगार शाल, कधी
दुलई गरम.. मन सुंदर सुंदर, मन
देवाजिच देण.. मन सुरेख ओंजळ,
त्यावाचुन सार उण..
'सुरेशभट.इन'वरील दुवा:
http://www.sureshbhat.in/node/1988

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