साधे शब्द...!
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सारे घडायचे ते आता घडून गेले,
मी एकटाच येथे सारे पळून गेले...
माझेच शब्द होते,माझेच प्रश्न
होते, माझे जुनेच गाणे
माझ्यापुढून गेले... याला नशीब
किंवा हा कायदा म्हणू मी,
दु:खास भार होता सुख शिंपडून
गेले... ना लेखण्या अता या
लोकांस न्याय देती, शाई विकून
गेली, बोरू विकून गेले... ती
बोललीच नाही होती मला जरीही,
आता तिचे इशारे सारे कळून
गेले... मी नेमके तरीही साधे
लिहीत गेलो, साधेच शब्द माझे
जग पाजळून गेले...
---------------------------------------------------------------------नचिकेत
भिंगार्डे
'सुरेशभट.इन'वरील दुवा:
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Wednesday, July 14, 2010
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